तेरे एहसासों में जो मजा है वो नीद में कहां।
Koi sahara nahi dua k siwa, Koi sunta nahi khuda k siwa.. Principal ne bhi zindagi ko qareeb se dekha hai, Mushkilon mein koi saath deta nahi khuda k siwa.
मिर्ज़ा ग़ालिब टैग : महबूब शेयर कीजिए
याद करोगे तुम भी कभी किससे दिल लगाया है
इसी तथ्य के संदर्भ में ग़ालिब कहते हैं कि चूँकि अल्लाह की ज़ात प्राचीन है इसलिए जब इस ब्रह्मांड में कुछ भी नहीं था तो उसकी ज़ात मौजूद थी और जब कोई हस्ती मौजूद न रहेगी तब भी अल्लाह की ही ज़ात मौजूद रहेगी और चूँकि मैं अल्लाह सर्वशक्तिमान के नूर का एक हिस्सा हूँ और मुझे मेरे पैदा होने ने उस पूर्ण प्रकाश से जुदा कर दिया, इसलिए मेरा अस्तित्व मेरे लिए नुक़्सान की वजह है। यानी मेरे होने ने मुझे डुबोया कि मैं कुल से अंश बन गया। अगर मैं नहीं होता तो क्या होता यानी पूरा नूर होता।
इसी नज़रिए से प्रभावित हो कर ग़ालिब ने ये ख़याल बाँधा है। शे’र की व्याख्या करने से पहले ये जानना ज़रूरी है कि ख़ुदा की ज़ात सबसे पुरानी है। यानी जब दुनिया में कुछ नहीं था तब भी ख़ुदा की ज़ात मौजूद थी और ख़ुदा की ज़ात हमेशा रहने वाली है। अर्थात जब कुछ भी न होगा तब ख़ुदा की ज़ात मौजूद रहेगी। यहाँ तात्पर्य क़यामत से है जब अल्लाह के हुक्म से सारे प्राणी ख़त्म हो जाएंगे और अल्लाह सर्वशक्तिमान अकेला व तन्हा मौजूद रहेगा।
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सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है
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पहली मोहब्बत मेरी हम जान न सके, प्यार क्या होता है हम पहचान न सके, हमने उन्हें दिल में बसा लिया इस कदर कि, जब चाहा उन्हें दिल से निकाल न सके।
जब से वो हमारे ख्वाबों में आने लगे हैं।
Kamar jitni bhi patli ho maza utna nasheela hai. chalega jo bhi ho aankhon ka rang kala ya neela hai, ishq k naam pe kerte sabhi ab RASLEELA hao.. primary karun to saala character dheelaa hai
hu.ii muddat ki 'Gaalib' mar gayaa par yaad aataa hai vo har ik baat par kahnaa ki yuu.n hotaa to kyaa hotaa
हंगामा है क्यूँ shayri बरपा थोड़ी सी जो पी ली है